Wednesday, 1 October 2008

तमन्ना

तमन्ना

जीने की तमन्ना जागी है

आखों में उजाला आया है

रंगीन ख्वाबों से उठकर

फिर से मन को बहलाया


हिम्मत हारकर फिर

भी दिल को समझाया है

सारे बंधन को तोड़कर

पंछी सा सपना संजोया है
सारे उलझन को तोड़ कर

दुनिया से लड़ने की ठानी है

अपने मन को बहलाया ही

देखे दुनिया और रिश्ते के रंग हज़ार

सच्ची दोस्ती और सच्चा प्यार

धोखा खा कर जीने की
फिर से मन में ठानी ही


..... रंगीन ख्वाबों से उठकर

फिर से मन को बहलाया है...